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जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस shiv chalisa lyricsl विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

दानिन महँ तुम shiv chalisa lyricsl सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

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अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें

मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।

मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

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